दिल्ली अदालत ने लालू, राबड़ी देवी और तेजस्वी पर IRCTC होटेल घोटाले में आरोप तय किए IRCTC होटेल घोटाला: पूरी कहानी
१. मामला क्या है?
यह मामला 2004-2009 के बीच का है, जब लालू प्रसाद यादव भारत सरकार में रेल मंत्री थे।
आरोप है कि उस दौरान भारतीय रेल खाने-पीने एवं पर्यटन निगम (IRCTC) के दो होटों — एक राँची (सूचक होटल BNR Ranchi) और दूसरा पुरी (BNR Puri) — के रखरखाव (maintenance) व संचालन के ठेके निजी कंपनी को दिए गए।
आरोप है कि निविदा (tender) प्रक्रिया में हेराफेरी की गई, शर्तों में बदलाव हुए, ताकि ये होटल ठेका Sujata Hotels Pvt Ltd को मिले, जिसकी मालिकाना हिस्सेदारी विजय कोचर और विनय कोचर के पास थी।
---
२. क्या बदला गया था / किस तरह हेराफेरी हुई
कथित है कि निविदा की शर्तों को इस तरह बदला गया कि Sujata Hotels को लाभ हो सके, यानी अन्य प्रतिस्पर्धियों को पीछे छोड़ा गया।
होटल ठेकों का हस्तांतरण IRCTC से Sujata Hotels को किया जाना था, और इसके बदले कुछ जमीन/संपत्ति का आदान-प्रदान हुआ।
आरोप है कि इस सौदे के बदले पटनाका प्राइम प्लॉट (लगभग 3 एकड़ जमीन) लालू यादव के परिवार के किसी बेनामी कंपनी (shell / benami company) के ज़रिए मिला।
बाद में वह जमीन नियंत्रण और स्वामित्व के लेन-देनों के ज़रिए राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के नाम हो गई।
---
३. आरोप और धाराएँ
निचली अदालत (राउज एवेन्यू कोर्ट, दिल्ली) ने निम्न धाराएँ आरोपित की हैं:
आरोपी धाराएँ (IPC / भ्रष्टाचार कानून आदि)
लालू प्रसाद यादव आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 120B (साजिश), भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम की धारा 13(2), पद का दुरुपयोग आदि
राबड़ी देवी तथा तेजस्वी यादव धारा 420, 120B, साजिश और धोखाधड़ी के आरोप; लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 13(2) उन पर पूरी तरह लागू होती है या नहीं।
---
४. मामला कैसे अदालत में पहुँचा
CBI ने इस केस की जांच की।
FIR दर्ज की गई थी 7 जुलाई 2017 को।
कई स्थानों पर छापेमारी की गई — पटना, नई दिल्ली, रांची, गुरुग्राम आदि।
आरोपपत्र (चारेजशीट) अभियोजन द्वारा प्रस्तुत किया गया जिसमें साक्ष्य, दस्तावेज़, गवाहों के बयान आदि शामिल हैं।
---
५. अदालत का निर्णय
13 अक्टूबर 2025 को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और अन्य कुल 14 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय कर दिए (चारेज फ्रेम हुए)।
सभी आरोपियों ने अदालत में नॉट गिल्टी (अपराध स्वीकर नहीं करना) कहा है।
---
६. राजनीतिक और कानूनी पहलू
यह फैसला बिहार विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले आ गया है, जिसने राजनीतिक हलचल बढ़ाई है।
RJD (राष्ट्रीय जनता दल) का कहना है कि यह मामला चुनावी माहौल को ध्यान में रखकर उठाया गया है।
अदालत ने कहा है कि साक्ष्यों की समीक्षा में यह पाया गया कि आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सामग्री मौजूद है। अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि निविदा प्रक्रिया में बदलाव, शर्तों में हस्तक्षेप आदि हुए।
बचाव पक्ष (defense) कह रहा है कि दी गई सामग्री पर्याप्त नहीं है, और निविदाएँ पारदर्शी थीं।
---
७. संभावित परिणाम और आगे क्या हो सकता है
अब ट्रायल (मुकदमा चलना) तय होता है — जहाँ अभियोजन को यह सिद्ध करना होगा कि आरोप सही हैं।
यदि अभियोजन सफल होता है, तो दोषी पाए जाने पर कैद, जुर्माना, और अन्य कानूनी दंड हो सकते हैं, जैसा कि लागू धाराएँ निर्धारित करती हैं।
इसके विपरीत, यदि अदालत को लगे कि साक्ष्य पर्याप्त नहीं हैं, तो आरोपियों को राहत मिल सकती है या तालाश (discharge) किया जा सकता है।
क्या है मामला?
यह मामला उस समय का है जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे। आरोप है कि उन्होंने दो IRCTC होटलों (रांची और पुरी) के संचालन एवं रखरखाव का टेंडर अनियमित रूप से निजी कंपनी को दिलाया। इसके बदले में कहा जाता है कि पटना में कीमती जमीन को राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के नाम हस्तांतरित किया गया।
आरोप तय करने का फैसला
दिल्ली की Rouse Avenue अदालत ने 13 अक्टूबर 2025 को लालू, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव सहित कुल 14 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय कर दिए।
कौन-से कानून शामिल हैं?
आरोपों में भ्रष्टाचार, चिटिंग, अपराधिक षड्यंत्र जैसे धारा 420 (Indian Penal Code) और 120B (Criminal Conspiracy) शामिल हैं।
लालू की प्रतिक्रिया
सभी आरोपियों (लालू, राबड़ी, तेजस्वी) ने इन आरोपों को ‘नगuilty’ (अपराध नहीं स्वीकार) कहा है। लालू समर्थकों का कहना है कि यह फैसला चुनावी माहौल को देखते हुए लिया गया है।
---
🏛️ राजनीतिक असर और विश्लेषण
यह निर्णय बिहार विधानसभा चुनावों से कुछ ही समय पहले आया है, जिससे राजनीतिक हलचल बढ़ गई है।
विपक्षी दलों का दावा है कि आरोप तय करना “राजनीतिक चाल” हो सकती है, ताकि जनता की राय प्रभावित की जाए।
RJD को अब यह चुनौती होगी कि वह इस घोटाले की दलगत छवि को दूर रख सके और चुनावी रणनीति को संतुलित बनाए।

Comments